2013

ग्रेटर नोएडा। उत्तराखंड में 16 जून को आयी भीषण ‘हिमालयी सुनामी’ ने इस क्षेत्र में जो तबाही मचायी, उससे अपार जानमाल की क्षति हुई जिससे उबरने में प्रदेश को कई वर्ष लगेंगे। इस प्राकृतिक आपदा में प्रदेश के प्रवासी बंधुओं ने, संस्थाओं ने अपनी-अपनी तरह से योगदान दिया जिसका सिलसिला आज भी जारी है। इसी क्रम में उत्तराखंड सांस्कृतिक समिति, ग्रेटर नोएडा आपदा पीड़ितों की मदद के लिए आगे आयी। दरअसल, इस त्रासदी के पीड़ितों को मदद पहुंचाना कम मुश्किल भरा काम नहीं था क्योंकि सड़कों के टूटने से प्रभावित गांवों तक पहुंचना संभव नहीं था। यही वजह थी कि जो गांव अथवा इलाके सड़कों से जुड़े थे, उन्हें तो भरपूर मदद मिली लेकिन सड़क संपर्क से वंचित दूर-दराज के गांवों के प्रभावितों को जो मदद मिलनी चाहिए थी, वह नहीं मिल पायी। इस तथ्य के मद्देनजर उत्तराखंड सांस्कृतिक समिति, ग्रेटर नोएडा ने आपदा में सबसे ज्यादा प्रभावित रुद्रप्रयाग के उन गांवों के पीड़ितों को मदद पहुंचाने का निश्चय किया जो सड़क मार्ग टूटने से मुख्य धारा से अलग-थलग पड़ चुके थे। समिति द्वारा गठित छह सदस्यीय दल, पिछले दिनों 22 सितम्बर को रुद्रप्रयाग के आसपास के सर्वाधिक आपदा प्रभावित गांवों तक पहुंचा। सदस्यों ने पाया कि त्रासदी के तीन महीने बाद भी स्थितियां सामान्य नहीं हैं। जो इस आपदा में अपना सब कुछ खो चुके हैं, उन्हें अभी तक सरकार से कोई वांछित मदद नहीं मिल पायी है। समिति ने इन्हीं लोगों की मदद का अपना लक्ष्य बनाया और हर परिवार को जरूरत के हिसाब से नकद आर्थिक सहायता मुहैया करायी। जैसे कि झटगढ़ गांव की शांति देवी, जो कि इस आपदा में अपना सब कुछ खो चुकी थीं, को गाय खरीदने के लिए धन राशि प्रदान की गयी ताकि वे अपनी न्यूनतम आर्थिक जरूरतें इससे पूरी कर सकें। इसी तरह श्रीमती लखड़ा देवी, जिनके पति इस हादसे के शिकार हुए हैं तथा जिनकी दो लड़कियां हैं, उन्हें स्कूल की पढ़ाई के लिए नकद राशि प्रदान की गयी। इस क्रम में समिति ने अगस्त्य मुनि, पूर्वी चाका, चंद्रा पुरी (आपदा में सबसे अधिक प्रभावित गांव), कंडारा, सिल्ली, जवाहर नगर, विजय नगर आदि गांवों में जाकर लगभग 65 लोगों को यथोचित आर्थिक धनराशि प्रदान की। भारी बारिश व लैंड स्लायिडिंग से सडक मार्ग टूट जाने के कारण हमारी टीम आगे नहीं जा सकी और उन्हें वहीँ से वापस आना पड़ा। परन्तु समिति आगे भी इस नेक कार्य को करने के लिए प्रयासरत रहेगी। राहत दल के सदस्यों में श्री अजेन्द्र रावत, जे. पी. एस. रावत, जय प्रकाश रावत, महिपाल नेगी, त्रिलोक पंवार, तारादत्त शर्मा आदि शामिल थे।
इस पुण्य कार्य में जिन सज्जनों ने अपना योगदान दिया, समिति उन सभी लोगों का हार्दिक आभार प्रकट करती है और भविष्य में भी इस तरह की घटनाओं में मदद की अपेक्षा करती है।